बीकानेर विकास प्राधिकरण के मास्टर प्लान में गोचर जमीन को भी लेने के बाद कांग्रेस और सत्ताधारी पार्टी के नेताओं ने भी बीडीए का विरोध किया था मगर एक सितंबर को सरकार ने स्पष्ट कर दिया कि सरकारी जमीन को छोड़ बाकी सब तरह की जमीन प्राधिकरण के अधीन ही रहेगी। यानी गोचर जमीन अब बीडीए के पास जाएगी।
एक सितंबर को डीएलबी डायरेक्टर जुईकर प्रतीक चंद्रशेखर ने आदेश जारी कर कहा कि नगर पालिका अधिनियम की धारा 68-ए के अंतर्गत नगर निकाय के गठन से ही भू राजस्व अधिनियम की धारा 103 में सैकंड को छोड़कर नगरीय निकाय की समस्त भूमियां निकाय में शामिल होती हैं जिसमें गोचर भी शामिल है। मास्टर प्लान की सीमा में सभी जमीन संबंधित निकाय के अधीन दर्ज हो चुकी या की जाएंगी। टाउनशिप पॉलिसी 2024 में योजना के बीच में रास्ते का प्रावधान है। इसलिए चरागाह भूमि का भी विकास किया जा सकता है। जिसकी क्षतिपूर्ती भी अपेक्षित नहीं है। आदेश में कहा कि 17 फरवरी 2019 के निकाय के नाम दर्ज भूमि प्रासंगिक नहीं है। मास्टर प्लान के अनुसार भूमि का आवंटन और विकास किया जा सकता है। राजकीय भूमियों एवं धारा 90 ए के अंतर्गत दर्ज होगी। नगरीय क्षेत्र में कृषि-गैर कृषि प्रयोजन के लिए अनुज्ञा और आवंटन नियम 2012 7(3) व 13 (7) के अंतर्गत अलग से कार्रवाई की जा सकती है। 7 अप्रैल 2025 के आदेश के मुताबिक भू आवंटन नीति 2015 के अंतर्गत अनुमोदन के लिए सरकार को पेश किए जा सकते हैं। उल्लेखनीय है कि बीडीए के मास्टर प्लान के बाद गोचर जमीन को लेकर कांग्रेस और भाजपा नेताओं ने विरोध किया था। अब सरकार के आदेश के बाद भाजपा नेताओं का चुप होना तय है।