बीकानेर। भीनासर में गौरक्ष धोरा स्थित नखत बन्ना मंदिर में श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस की कथा में रविवार को पुरंजनोपाख्यान, जड़ भरत चरित्र, अजामिलोपाख्यान, नृसिंह अवतार आदि प्रसंग सुनाए। कथा वाचक अंतर्राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेश महाराज ने कहा कि मनुष्य जीवन में जाने अनजाने प्रतिदिन कई पाप होते हंै, उनका ईश्वर के समक्ष प्रायश्चित करना ही एकमात्र उस पाप से मुक्ति पाने का उपाय है। उन्होंने जीवन में सत्संग व शास्त्रों में बताए आदर्शों का श्रवण करने का आह्वान करते हुए कहा कि सत्संग में वह शक्ति है, जो व्यक्ति के जीवन को बदल देती है। उन्होंने कहा कि व्यक्तियों को अपने जीवन में क्रोध, लोभ, मोह, हिंसा, संग्रह आदि का त्यागकर विवेक के साथ श्रेष्ठ कर्म करने चाहिए। व्यासपीठाधीश्वर ने कहा कि भगवान के नाम मात्र से ही व्यक्ति भवसागर से पार उतर जाता है। भगवत कीर्तन करने, ज्ञानी पुरुषों के साथ सत्संग कर ज्ञान प्राप्त करने व अपने जीवन को सार्थक करने का आह्वान किया। भजन मंडली की ओर से प्रस्तुत किए गए भजनों पर श्रोता भाव-विभोर होकर नाचने लगे। महाराज ने कहा कि वैराग्य मानव को ज्ञानी बनाता है। वैराग्य में मानव संसार में रहते हुए भी सांसारिक मोहमाया से दूूर रहता है। आयोजन से जुड़े प्रवीण भाटी ने बताया कि सोमवार को कथा प्रसंग में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम एवं श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया जायेगा।